प्रसिद्ध विमानन इंजीनियर डॉ. कोटा हरिनारायण और चेन्नई स्थित अमेरिकी कॉन्सुल जनरल क्रिस्टोफर डब्ल्यू. होजेस ने गीतम बेंगलुरु में मूर्ति रिसर्च सेंटर का उद्घाटन किया

बेंगलुरु, कर्नाटक, 29 फरवरी, 2024 – नेशनल साइंस डे (राष्ट्रीय विज्ञान दिवस) के अवसर पर, उत्कृष्ट शिक्षा और विकास को लेकर नेशनल एजूकेशन पॉलिसी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) 2020 में वर्णित अनुसंधान के मूल सिद्धांत के साथ कदमताल करते हुए, गीतम बेंगलुरु ने आज मल्टीडिसिप्लिनरी यूनिट ऑफ रिसर्च ऑन ट्रांसलेशनल इनिशिएटिव्स (मूर्ति) रिसर्च सेंटर का उद्घाटन किया है।

यह अग्रणी बहु-विषयक अनुसंधान पहल, सहभागिता करने, नवाचार और सार्थक बदलाव लाने के लिए आला दिमागों को इकट्ठा करती है। विभिन्न क्षेत्रों के शोधकर्ताओं को एक साझा मंच पर लाने के पीछे, मूर्ति का उद्देश्य यह है कि व्यक्तिगत विषयों से आगे निकल जाने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए, विभिन्न पृष्ठभूमि वाले शोधकर्ताओं की सामूहिक विशेषज्ञता से काम लिया जाए।

लॉन्च समारोह में हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस प्रोग्राम के प्रोग्राम डाइरेक्टर व चीफ डिजाइनर डॉ. कोटा हरिनारायण, चेन्नई स्थित यूएस कॉन्सुलेट के कॉन्सुल जनरल क्रिस्टोफर डब्ल्यू. होजेस सहित अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। गीतम के उप-कुलपति प्रोफेसर दयानंद सिद्धावत्तम और बेंगलुरु कैंपस के प्रोवीसी प्रोफेसर केएनएस आचार्य ने इस आयोजन की शोभा बढ़ाई।

प्रसिद्ध इंजीनियर, शिक्षाविद् और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस प्रोग्राम के प्रोग्राम डाइरेक्टर व चीफ डिजाइनर डॉ. कोटा हरिनारायण ने कहा, “टिकाऊ प्रौद्योगिकी कैसे विकसित हो, इस पर पूरी तरह से पुनर्विचार करने की जरूरत है। मुझे खुशी है कि गीतम ने रिकॉर्ड समय में (मूर्ति) को स्थापित कर लिया है। 13 क्षेत्रों की पहचान करने के साथ सही शुरुआत हुई है और ये वही क्षेत्र हैं जहां हम बदलाव ला रहे हैं। इससे न केवल गीतम, बल्कि समाज को भी बड़े पैमाने पर लाभ होगा। अब यूनिवर्सिटी को उद्योग और समाज के साथ जोड़ना हमारा लक्ष्य है।“

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, “इंजीनियरिंग को री-इंजीनियर करने की जरूरत है। यह बिलकुल बुनियादी जरूरत है। जिस तरह से हम ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जिस तरह से हम ऊर्जा का भंडारण करते हैं, जिस तरह से हम ऊर्जा को संचारित करते हैं, इन सारे तरीकों पर फिर से ध्यानपूर्वक विचार करना होगा। मेरा मानना है कि श्री क्रिस्टोफर डब्ल्यू. होजेस की मौजूदगी से अमेरिकी शिक्षा जगत, अमेरिकी उद्योग जगत, भारतीय शिक्षा जगत, भारतीय उद्योग जगत और सामान्य तौर पर पूरे समाज के बीच, बड़े पैमाने पर एक मजबूत सहभागिता सुनिश्चित होगी।”

चेन्नई स्थित यूएस के कॉन्सुल जनरल क्रिस्टोफर डब्ल्यू. होजेस ने इस बात पर प्रकाश डाला- “मूर्ति एक किस्म का एकीकृत एवं गतिशील अनुसंधान मॉडल है, जिसकी हमें ऐसे-ऐसे नवाचार और साझेदारियां करने के लिए जरूरत पड़ती है, जो हमारी अर्थव्यवस्थाओं और संबंधों को आगे बढ़ाने में मदद करें।”

गीतम में बेंगलुरु कैंपस के प्रोवीसी, प्रोफेसर केएनएस आचार्य ने जोर देकर कहा, “भारत में शैक्षणिक संस्थानों के लिए अनुसंधान एवं विकास बेहद जरूरी है। यह नवाचार को बढ़ावा देने, ज्ञान को आगे बढ़ाने और अकादमिक पाठ्यक्रमों एवं कार्यक्रमों को नवीनतम विकास के साथ अद्यतन बनाए रखने की धुरी है। इससे अत्यंत गंभीर चुनौतियों का समाधान होता है, उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलता है, तथा उद्योग व समाज के लिए समाधान विकसित होते हैं। छात्र-केंद्रित शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में देखे जाने पर मूर्ति की पहल, छात्रों को रट्टा मारने से बाहर निकलने तथा अत्याधुनिक प्रयोगशाला के परिवेश में वास्तविक दुनिया की समस्याओं का समाधान करने के लिए, सक्रिय होकर जुड़ने की शक्ति प्रदान करती है। इससे ऐसी मानसिकता का पालन-पोषण होता है जो विफलता को प्रयोग की प्रक्रिया का स्वाभाविक हिस्सा मानती है। यह आलोचनात्मक सोच और व्यावहारिक तर्क कौशल, दोनों को बढ़ावा देती है।“

गीतम के उप-कुलपति प्रोफेसर दयानंद सिद्धावत्तम ने टिप्पणी की, “स्थानीय रूप से प्रासंगिक होने के साथ-साथ, गंभीर वैश्विक मुद्दों पर काम करने के लिए प्रतिष्ठित विद्वानों, युवा शोधकर्ताओं और उत्साही छात्रों के नेतृत्व में एक अंतःविषयक अनुसंधान संस्कृति का निर्माण करना ही मूर्ति का उद्देश्य है। इस यूनिवर्सिटी ने अनुसंधान के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने तथा देश भर के युवा, प्रतिभाशाली शोध छात्रों को मूर्ति एक्सीलेंस फेलो के रूप में भर्ती करने के लिए, 100 करोड़ रुपये का निवेश किया है। ज्ञान का केंद्र बनाने तथा क्षेत्र के सतत विकास में हाथ बंटाने वाले आवश्यक ज्ञान की प्रौद्योगिकियों को उत्पन्न करने वाला एपिसेंटर बनने के लिए, बेंगलुरु मूर्ति का एक मूर्ति साइंस पार्क में बदल जाना उसकी नियति है। यह मूर्ति सेंटर, नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस), जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएआर) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) जैसे विश्व-प्रसिद्ध अनुसंधान संस्थानों तथा आधुनिक समाज की कुछ गंभीर समस्याओं का समाधान खोजने के लिए, सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर उद्योग के जगमगाते सितारों के साथ सहभागिता करेगा। यह सेंटर फसल सुरक्षा, फसल प्रबंधन, जल संरक्षण और फसल कटाई के बाद की प्रौद्योगिकियों में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए, एआई-सहायता प्राप्त कृषि पद्धतियों को लाने हेतु यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस, बेंगलुरु के साथ सहभागिता करेगा।”

मूर्ति रिसर्च सेंटर का उद्घाटन, बहु-विषयक सहभागिता करने और अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के प्रति इस संस्थान की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना और 6 प्रमुख क्षेत्रों पर फोकस करके नवाचार को बढ़ावा देना इस सेंटर का लक्ष्य है। ध्यान केंद्रित करने वाले इन क्षेत्रों में शामिल हैं- बेसिक साइंसेस, मोबिलिटी टेक्नालॉजीज, मैटेरियल्स एवं मैन्युफैक्चरिंग, कम्युनिकेशन टेक्नालॉजीज, एग्रीकल्चर टेक्नालॉजीज और सेंसर टेक्नालॉजीज। मूर्ति रिसर्च सेंटर में अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित 13 आधुनिक प्रयोगशालाएं मौजूद हैं, जिनमें दुनिया के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के संकाय खुले हुए हैं और उनके शोधकर्ता इनमें काम करते हैं। ड्रोन टेक्नालॉजीज से लेकर क्वांटम इन्फोकॉम तक, हर प्रयोगशाला ज्ञान की सीमाओं का विस्तार करने और दुनिया पर वास्तविक असर डालने के लिए समर्पित है।

लॉन्च समारोह ने, इस केंद्र के द्वारा अपने हाथ में ली गई अनुसंधान की पहलों के बारे में विशेष अंतर्दृष्टि प्रदान की, जिससे उपस्थित लोगों को अत्याधुनिक इकाइयों का दौरा करने तथा प्रतिष्ठित अध्यापक मंडल व शोधकर्ताओं के साथ बातचीत करने का अवसर मिला।

गीतम बेंगलुरु, सकारात्मक बदलाव लाने तथा सभी के उज्जवल भविष्य का निर्माण करने हेतु, बहु-विषयक अनुसंधान की शक्ति का उपयोग करने वाले हमारे मिशन में शामिल होने के लिए, दुनिया भर के शोधकर्ताओं, नवप्रवर्तकों और सहभागिता करने वालों के स्वागत में खड़ा है।

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